भारत जैसे देशो में पशु पालन व्यवसाय सदियों से चला रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन तो आय का प्रमुख स्रोत रहा है। ऐसा ही एक बहुत ही लोकप्रिय है उन में से एक है बकरी पालन व्यवसाय। राजस्थान सरकार द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में बकरियों की कुल संख्या लगभग 12 करोड़ है। विश्व की कुल बकरी संख्या का 20 प्रतिशत भारत में ही पाया जाता है। जो की एक विशाल नंबर है। बकरी एक बहुउपयोगी, सीधा-साधा, किसी भी वातावरण में आसानी से ढलने वाला छोटा पशु है जो अपनी रहन-सहन व खान-पान सम्बंधित आदतों के कारण सबका चाहता पशु है। तो आइए जानें बकरी पालन व्यवसाय के बारे में हिंदी में । आपको यहाँ से पता लगेगा की बकरी पालन क्या है, इसमें कितनी लागत आती है , इसकी ट्रेनिंग कहाँ से मिलती है , सरकारी योजनाओं व बकरी पालन के लिए लोन अथवा कितनी कमाई कर सकते हैं आप इस व्यसाय से:
बकरी पालन की पूरी प्रक्रिया
बकरी पालन करने के लिए पशुपालक को अलग से किसी आश्रय स्थल की आश्यकता नहीं पड़ती. उन्हें वो अपने घर पर ही आसानी से रख सकते हैं. बड़े पैमाने पर यदि बकरी पालन का कार्य किया जाएं, तब उसके लिए अलग से बाड़ा बनाने की जरुरत पड़ती है. यूपी के बुंदेलखंड क्षेत्र में ज्यादातर लोग खेती किसानी के साथ बकरी पालन का कार्य करते हैं. ऐसी स्थिति में ये बकरियां खेतों और जंगलों में घूम फिर कर अपना भोजन आसानी से प्राप्त कर लेती है. अतः इनके लिए अलग से दाना-भूसा आदि की व्यवस्था बहुत कम मात्रा में करनी पड़ती है.
गौरतलब है कि देशी बकरियों के अलावा बरबरी और जमुनापारी नस्ल की बकरी पालन करने के लिए दाना, भूषा और चारा आदि की समुचित व्यवस्था करनी पड़ती है. लेकिन वह भी सस्ते में हो जाता है. दो से पांच बकरी तक एक परिवार बिना किसी अतिरिक्त व्यवस्था के आसानी से पाल सकता है. घर की महिलाएं बकरी की देख-रेख आसानी से कर सकती हैं और खाने के बाद बचे जूठन से इनके भूसा की सानी कर दी जाती है. ऊपर से थोड़ा बेझर का दाना मिलाने से इनका खाना स्वादिष्ट हो जाता है. बकरियों के रहने के लिए साफ-सुथरी एवं सूखी जगह की जरुरी होती है.